From a lost letter

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कड़वाहट की मीठी ख़ुशबू
मोहब्बत के अफ़साने कुछ
धीरे से गर्माते दिन में
मिल जाएँ अनजाने कुछ

ये ख़याल मिरे तुम लेते जाओ
आधे हैं पैमाने कुछ
शाम हुए जल उठते हैं जब
आते जुगनू और परवाने कुछ

अधूरी बातें, ख़्वाब मुकम्मल
धुँधले कुछ, पहचाने कुछ
बातें करते सन्नाटों में
रिश्तों के ताने-बाने कुछ

कुछ यादों को भूलो तुम भी
दिन बीते, और शामें कुछ
ढलती शामों में बहने दो
यादों के वीराने कुछ

Godhuli

مندروں کی خوشبو سے مہکتی شامیں
میرے شہر کی بھٹکتی شامیں
تیز سڑکوں پہ اٹکتی شامیں
تمہارے نام سے چہکتی شامیں

رات کے دامن میں چھُپتی ہوُئی سی
روُکتی کہیں ہچکتی شامیں
اپنے دائرے میں سِمٹتی شامیں

شامیں تُم تک جو کبھی پہنچ نہ سکیں
شام کو تھک کر گھر چلتی شامیں

मंदिरों की ख़ुशबू से महकती शामें
मेरे शहर की भटकती शामें
तेज़ सड़कों पे अटकती शामें
तुम्हारे नाम से चहकती शामें

रात के दामन में छुपती हुई सी
रुकती कहीं हिचकती शामें
अपने दायरे में सिमटती शामें

शामें तुम तक जो कभी पहुँच न सकीं
शाम को थक कर घर चलती शामें