कड़वाहट की मीठी ख़ुशबू
मोहब्बत के अफ़साने कुछ
धीरे से गर्माते दिन में
मिल जाएँ अनजाने कुछ
ये ख़याल मिरे तुम लेते जाओ
आधे हैं पैमाने कुछ
शाम हुए जल उठते हैं जब
आते जुगनू और परवाने कुछ
अधूरी बातें, ख़्वाब मुकम्मल
धुँधले कुछ, पहचाने कुछ
बातें करते सन्नाटों में
रिश्तों के ताने-बाने कुछ
कुछ यादों को भूलो तुम भी
दिन बीते, और शामें कुछ
ढलती शामों में बहने दो
यादों के वीराने कुछ